आग सभी में संभव है,
बस एक चिंगारी चाहिए….
पार्थ सभी बन सकते हैं,
बस पार्थ सारथी चाहिए….
~ मृत्युंजय
०७ दिसम्बर २०२४
आग सभी में संभव है,
बस एक चिंगारी चाहिए….
पार्थ सभी बन सकते हैं,
बस पार्थ सारथी चाहिए….
~ मृत्युंजय
०७ दिसम्बर २०२४
पीड़ा का गहरा सोता,
आँखों से झलक ही जाता है,
अश्रु स्वेद से लथपथ वो वीर,
फिर भी डटकर रण कर जाता है,
~ मृत्युंजय का समर शेष
०७ दिसम्बर २०२४
(०२:०० मध्याह्न)
क्या है वीरता का प्रमाण,
कौन है वीर?
केवल युद्ध की इच्छा वाला, वीर नहीं कहलाता है,
जो इच्छा पर नहीं, अपितु कर्तव्यों पर केंद्रित रहता है,
तन पर चाहे हों घाव असंख्य, वो समर में डटा रहता है,
है वीर वही जो अनचाहे भी, कर्म हेतु रण कर जाता है,
~ मृत्युंजय
०७ दिसम्बर २०२४
प्रेरणा स्रोतों को समर्पित 🙏🏼